Kahani sharma

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कैसी है ज़िन्दगी भाग -- 10



रामलाल बहुत खुश था शादी की तारीख भी निकल गयी थी इटनां अच्छा समधी उसे कही और नही मिलता ये भी खुशी थी बेटी की तो उसे परवाह ही नही थी उसे तो बस एक बेटी कम होने की खुशी थी या। आगे :--- 



राम लाल खुद में ही बड़बड़ाता हुआ कमरे से बाहर चला गया ! कोमल की माँ बड़े ही भारी कदमो के साथ कोमल के कमरे में जा रही थी उससे समंझ ही नही आ रहा था कि वो अपनी नन्नी सी बेटी को क्या कहेगी कैसे उसे बताएगी की जल्द ही उसकी शादी हो जाएगी सुसराल की जिम्मेदारी का इतने नाजुक से कंधों पर आ जायेगा कैसे वो इन को उठाएगी इस कच्ची उम्र में शादी कही उसे ओर उसके फूल जैसे शरीर को तोड़ के न रख दे आज उसे अपना समय याद आ रहा था ! 


उसकी भी तो शादी छोटी सी ही उम्र में उससे दुगने उम्र के लड़के के साथ कर दी गयी थी कच्ची मिट्टी का उसका शरीर अभी उसका विकास भी नही हुआ था उस समय ही वो चार बार माँ बन गयी थी पर शरीर उसके कोख में बच्चे के आते ही सम्भाल नही पता और उसका मिसकैरिज हो जाता था ! 


आज भी वो इस शारिरिक पीड़ा से उभर नही पाई है वो तो पता नही कोमल कैसे उसकी कोख में रह गयी पर जब वो आई थी जब भी तो उसने कितनी पीड़ा सही थी एक एक दिन उसका सालों से बीतता था उसकी सास ने भी तो कितने जातन किये थे वैध जी हो या दाई दोनो का ही इलाज करवाती थी पोते की सूरत देख लू फिर तो धाम की यात्रा छाए निकल जाऊ कोई गम नही मालती के बेटे की भी तो शादी इसके साथ ही हुई थी! तीन बच्चों की दादी बन गयी है और यहाँ तो कमसिन काली आई है फूल लगते ही डाली टूट जाती है पता नही पोते का मुँह देख भी पाऊंगी या नही इस जन्म, जैसे तैसे समय बिता ओर कोमल पैदा हो गयी खुश तो नही थी पर फिर भी उन्हें दादी  बनने की थोड़ी बहुत खुशी थी! 


चलो सुखी डाल पर फूल खिला तो पोता फिर हो जाएगा ये ही सब से कहती रहती ! ये सब सोचते हुए उसकी आँखों मे आँशु आ गए ! 



ये सब सोचते हुए वो कोमल के पास बैठ जाती है और उसके सर पर अपना हाथ फिरने लगती है इस समय कोमल फूलों की तरह नाजुक सी दिख रही थी कोमल के माथे को चूमते हुए वो बोली मेरी नन्ही सी परी ,,,,,,,,



अपने पास माँ का एहसास होते ही कोमल ने अपनी आँखें खोली और बोली 'ओह हो' आज इतना प्यार क्यों आ रहा है मेरी माँ को मुझ पर,,,,,,


माँ मुँह बनाते हुए बोली अच्छा जैसे मैं तो तुझ पर कभी अपना प्यार दिखती ही नही न आज ही अपना सारा प्यार लुटा रही हूँ ,,,,,


कोमल उठ कर अपनी माँ के गले मे अपनी बाहें डालते हुए बोली मेरी प्यारी माँ तुम गुस्से में और  प्यारी लगती हो मुझे ये कहते हुए उसने माँ के गालों को चूम लिया!



बस बस ज्यादा माखन न लगा ये बोलते हुए उसकी आँखों से एक बूंद उस के गालों से होते हुए लुढक पड़ता है ! 



कोमल अपनी आँखों को बडी करते हुए बोली माँ क्या बात है सब ठीक तो है बापू ने फिर कुछ बोला क्या ,,,,,



नही तो वो आँशुओ को अपने पल्लू से पोछे कैसे समझू इसको की ये कुछ दिन की मेहमान है अब इस घर मे, जल्द ही इसके हाथ पीले होने वाले है,,, 


चल इधर आकर तो बैठ तेरे सर में थोड़ा तेल लगा दूँ कोमल बोली हा माँ लगा दो उसने मेज पर रखी तेल की शीशी माँ के हाथों में थमा कर माँ को पकड़ा दी !




कैसे तैयार करेगी कोमल की माँ अब कोमल को एक तरफ रामलाल का ख़ौफ़ दूसरी तरफ उस की प्यारी बेटी की ज़िंदगी का सवाल था तो अब क्या करेगी कोमल की माँ जानने के लिए जुड़े रहे हमारे साथ



कहानी शर्मा










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3 Comments

वानी

30-May-2023 02:54 PM

Nice waiting for next chapter But mam agar sawal wale dialogue ke sath question mark ho to acha rahega

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Varsha_Upadhyay

24-May-2023 07:13 AM

👏👌

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Punam verma

20-May-2023 09:43 PM

Nice

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